अभी हाल के दिनों में हम सब ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया । पर्यावरण दिवस के अवसर पर पूरे दिन सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हर जगह लोगों की तरह तरह की चोंचलेबाजी खूब मात्रा में देखने को मिली। कई सारे जनसाधारण लोग, नेताओं, अभिनेताओं और विशेष संस्थाओं से जुड़े लोगो ने वृक्षारोपण जैसे कार्यक्रम भी समायोजित किये जिसमे उन्होंने कई वृक्ष लगाये , कई सौ तस्वीरे खिची , कई सारीं जगहों पर पोस्ट किया, उन तस्वीरों पर कई सारे लाइक, शेयर एवं कमेंट किये गए। कई लोगो ने कई तरह के संकल्प भी लिए। कुछ लोगो ने सरकार एवं व्यवस्था पर आरोप –प्रत्यारोप भी लगाये और व्यवस्था को जिम्मेदार भी ठराया दिया।
इन सब के बीच मैंने भी लोगों के कई तस्वीरों को देखा , कई लेखो को पढ़ा, कई सारे उनके बनाये विडियो भी देखे लेकिन मुझे कही भी उसमे लोगो में पर्यावरण की जिम्मेदारी खुद लेने की भावना नहीं दिखी।
क्यों दिखेगी, आखिर पर्यावरण ने हमे दिया क्या है?
सब कुछ हमे अपने परिवार से मिलता है, हम मेहनत करते है, फिर खुद से अर्जन करना सीखते है, कुछ मामलों में समाज प्रशासन और सरकार हमारी मदद करती है। तो इनसब में पर्यावरण कहाँ है ।। कही नहीं।।
हमे तो बस एक चीज़ अच्छे से आती है, इस धरती पर रहो, प्रकृति द्वारा दी गई मुफ्त की सेवाओं का लाभ उठाओ, उन्हें अपनी सुविधा अनुसार बर्बाद करो और उनपे नये भवन खड़े करों लेकिन उन्हें भविष्य के लिए सुरक्षित, संगृहित, संरक्षित मत करो। ये सारी चिंता सरकार की है ।हमे तो बस मुफ्त की मिल जाये तो घर भरना आता है। और प्रकृति भी हमे बस देना जानती है, वो अपने भण्डार से देती रहती है लेकिन हम लेते नहीं बल्कि लूटते हैं। और जिस तरह से हम लूट रहे है उस हिसाब से जल्द ही भविष्य में प्रकृति का भण्डारण खाली होने वाला है और इस सबके बाद आप और हम ये जो अपनी जिंदिगी को आरामदेह बनाने में लगे हुए है वो नरक होने वाली है। मतलबआने वाले दिनों में हम सभी त्राहिमाम करने वाले है।
अगर एक दिन सोसाइटी में पानी बंद हो जाये तो आप क्या करते है? सिक्यूरिटी, मेंटेनेंस,जल विभाग सभी के फ़ोन की घंटी बजा देते है, अगर ये हमेशा के लिए बंद हो गई तो एक बार सोचिये जो आप करोड़ो रूपए खर्च कर के कंक्रीट के महल में ऐश की जिंदगी जी रहे है वो कैसी हो जाएगी और सिर्फ पानी बंद होने की वजह से आपकी महल की कीमत क्या रह जाएगी।
अगर आप कोई घर खरीदने जाते है और वहां पानी का कनेक्शन ना हो तो उसे आप कितने में लेंगे।। ये प्रश्न नहीं है ये मैं आने वाले समय की बात बता रहा हूँ , आने वाले समय में यही होने वाला है जब जल नहीं रहेगा तो नल क्यों लगाये।
आज की पीढ़ी हर जगह एक विकल्प लेकर चलती है की ‘’ये नहीं तो ये सही’’ , पर मज़े की बात ये है की प्रकृति का कोई विकल्प नहीं है ।
आप साँसे लेते है। अगर वो बंद हो गई तो आपके पास कोई विकल्प नहीं है।